Friday, August 31, 2012

गाँधी तू चोर है


गाँधी तू चोर है
 डूबता जा रहा गहन तम में ,
भारत की आजादी का भोर है ,
आंसू में आवाज नहीं पर ,
क्षितिज तक पहुँचती शोर है ,
हँसते हँसते झूल गएँ शूली पर
 आजादी की खातिर पागल मतवाले ,
 क्रांतिकारी थे बड़े ही दिलवाले
 वो शेर बड़े थे हिम्मतवाले ,
वो नहीं सिर्फ कोई कहानी ,
 वो हैं भारत की जिंदगानी ,
बहते है भारत की हवाओं में ,
मुस्कराते हैं हर दिशाओं में ,
 तुम अहिंषा की झूठी लाठी पकड़े ,
गुलामी की गहरी ढाल हो
गाँधी भारत माँ के सच्चे दलाल हो ,
शहीद हर पल मुस्कराते हैं
और गाँधी तुम तस्वीर से
 ज़िन्दगी तक सिर्फ मौन हो
 गाँधी तुम चोर हो !

 भारत माँ का विश्वाश चुराया,
झूठे सपनो का आश जगाया ,
गुमनाम मौत दी तूने बोश को ,
कुचला हरदम क्रांति की सोच को ,
व्यभिचारी , बलात्कारी , अत्याचारी ,
तुम अंग्रेजों की दुम की लाठी थे ,
भारत माँ की आँचल को लाल किया
 हिन्दू मुस्लिम को दो भाग किया
 नेहरु को स्वार्थ में भारत का साम्राज्य दिया
 तुमसे पूछता है आज का लाचार हुआ भारत
 तूने क्यों तुगलक वंश को प्यार किया
 जयचंद तो फिर भी ठीक था तुझसे ,
बस पुत्री मोह में बना नीच था ,
तुम गाँधी तुम सबसे आगे हो ,
 नीचों के खानदान में हरदम भागे हो
 माँ के दूध का क्या तूने पहचान दिया
 हमेशा की गुलामी दे
भारत को बर्बाद किया
आज सुलगता भारत नफ़रत में बड़ा जोर है
 गाँधी तू चोर है !

 अवनि से अम्बर तक गूंजते सवाल हैं
सुन गाँधी तू भारत का बड़ा दलाल है ,
 तेरे पास नहीं कभी कोई जवाब है ,
 क्या यही भारत चाहा था हमने तुझसे ,
जिसने तुझे राष्ट्र पिता कहा था ,
वो नेहरू खुद ही तुगलकों का लुटेरा था ,
अरे चंडाल तू भारत माँ का पति नहीं हो सकता ,
जरा तू देख चेहरा अपना गहराई से ,
बेहया सा तू हरदम मुस्कराता है ,
तू कल भी मौन था आज भी मौन है ,
गाँधी बदला अब यह दौर है
 क्रांति का फिर होता शोर है
 गाँधी सुन तू चोर है
 गाँधी तू चोर है !

 यह कविता क्यों ? इन्सान विचारों से नहीं कर्म से बड़ा होता है , गाँधी के कुकर्मो की एक लम्बी गाथा को समर्पित शहीदों की श्रद्धांजलि में प्रस्तुत रचना ! क्रांति कोई शरीर नहीं क्रांति अमर आत्मा है , क्रांतिकारी भारत के कण कण में बिखरी आवाज है ! अरविन्द योगी वन्देमातरम

Arvind Yogi

4 comments:

  1. मैं स्टार देना चाहता था, पर वह इनेबल नहीं है. कृपया जोड़ लीजिए. ये सुपरहिट कविता अति प्रशंसनीय है.

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  2. Kash ki aapki hi tarah har hindustani ki soch ho jati to en haramjado ko bahut bada sabak mil jata.
    salam hai aapki vicharo ko.

    Jai hind....
    vande Matram..............................

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  3. Hello Shivani Ji,

    Bhut Bhut Dhnyavad Aapka ki aap hmare Vicharo se Agree hai.
    Ye mera v manna hai ki Sbke vicharo ko ab badlna chahiye...

    Jai Bharat

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  4. Koin kahata hai ki ham ajad hai, na kal the na aaj hai,,
    kal lutera koyi aur tha, aaj koyi aur hai,,
    kal gairo se jung thi aaj apno se hai,,
    ladayi to abhi baki hai, aajadi to abhi baki hai,,
    ab fir Bande Matram ki Udghosh hogi, fir KRANTI aayegi....fir KRANTI aayegi....

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