Sunday, August 19, 2012

कुमार विश्वास - गीत जो चढ़ा युवाओं की जुबां पर


कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है, ये मेरा दिल समझता है,
के मोहब्बत एक एहसासों की पावन-सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है.
यहां सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आंसू हैं,
जो तू समझे तो मोती हैं, जो ना समझे तो पानी हैं
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भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
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बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया,
अधूरा अनसुना ही रह गया यूं प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन नहीं पाए, कभी मैं कह नहीं पाया
मैं उसका हूं वो इस एहसास से इनकार करता है,
भरी महफिल में भी रुसवा मुझे हर बार करता है,
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है मुझसे वो लेकिन,
मुझे मालूम है, फिर भी मुझी से प्यार करता है
मैं जब भी तेज चलता हूं, न.जारे छूट जाते हैं,
कोई जब रूप गढ़ता हूं तो सांचे टूट जाते हैं,
मैं रोता हूं तो आकर लोग कंधा थपथपाते हैं,
मैं हंसता हूं तो मुझसे लोग अक्सर रूठ जाते हैं.
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे आगे,
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे.
समंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता,
ये आंसू प्यार के मोती हैं, इसको खो नहीं सकता,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले,
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता

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