कहते है इस शहर में कोई भी भूखा नही सोता.. इस शहर में कोई मरता नहीं क्योकि , इस शहर में यमराज को आना मना है, इस शहर में लोग ख़ुद से मोक्ष पाने चले आते है, कहते है यहाँ मरने पे स्वर्ग मिलता।
इस शहर में लोग ३६५ दिन त्यौहार मनाते है और मस्ती करते हैं। दुःख यहाँ दीखता नही, सुख यहाँ टिकता नहीं लेकिन ये शहर रुकता नहीं। हर गली में मन्दिर हैं, हर मुहल्ले में मस्जिद, चारों छोर पे गिरिज
ा और गुरूद्वारे। कहीं पंजाब तो कहीं गुजरात, कहीं बंगाल और महराष्ट्र और कहीं मद्रास इस शहर में दिखता है। फैशन के दौर में भी एक गमछे में ही ये शहर जी लेता है, इतना ही नही नहीं ये शहर भारत रत्न भी देता है। फटी धोती और सफारी शूट एक ही दुकान पे चाय पीता है।
इस शहर का नाम पूछने पे कोई इसे काशी कोई वाराणसी और कई बनारस कहता है लेकिन अपने शहर की परिभाषा हर आदमी कुछ यू बताता है.. “खाक भी जिस जमी का पारस है वो शहर हमारा बनारस है...”
इस शहर का नाम पूछने पे कोई इसे काशी कोई वाराणसी और कई बनारस कहता है लेकिन अपने शहर की परिभाषा हर आदमी कुछ यू बताता है.. “खाक भी जिस जमी का पारस है वो शहर हमारा बनारस है...”
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