Thursday, March 14, 2013

कौन है नरेंद्र मोदी ।


                कौन है नरेंद्र मोदी ।

मैं नरेंद्र मोदी की तारीफ नहीं करूंगा लेकिन उनके अच्छे काम जो उन्होने किए हैं वो आप के सामने ज़रूर रखूँगा और आप बताइएगा कि मोदी अच्छा इंसान है या नहीं  अगर मोदी अच्छा इंसान है तो फिर उसको देश का प्रधानमंत्री बनने का अधिकार है या नहीं और क्या आप मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपना सहयोग देंगे ।

मैं कभी मोदी जी से नहीं मिला लेकिन मोदी जी के बारे में जानने कि बहुत उत्सुक्ता थी मेरे मन मैं  इसलिए मेने उनके बारे मे जाना और ये लेख लिखा कि कौन है मोदी और क्यौं देश को चाहिए मोदी इसलिए मैं  मोदी के राजनीतिक सफर से परिवार और उनके स्वयंसेवक होने से उनके मुख्यमंत्री पद तक के सफर को बहुत आसान भाषा मे,  आप के सामने रखने जा रहा हूँ , और अंत मेँ ये बताऊंगा कि क्यौं चाहिए हमे मोदी देश के प्रधानमंत्री के रूप मे ।

एक शेर से शुरवाद करना चाहूँगा मोदी के सफर्नमे की

किसकी मिजाल जो छेड़े दिलेर को
गर्दिश मे घेर लेते हैं  गीदड़ भी
शेर को ।

ये मोदी जी पर बिलकुल सही बेठता  है

बचपन से ही बड़ी सोच रखने वाले मोदी जी का बचपन
नरेंद्र दामोदर दास मोदी अपने घर मे एक होनहार बच्चा था पिता की  6 संतानों मे मोदी का नंबर 3 था मोदी जो हर काम मे हुशियार था
बचपन से ही राष्ट्रभक्त था ।

दिवाली वाला दिन सन 1958  एक छोटा सा बच्चा कार्यकर्ता के   रूप मे आरएसएस मे शामिल हुआ जिसका नाम था नरेंद्र मोदी
पिता का नाम दामोदर दास  मूल चंद मोदी , माता का नाम हिराबेन घांची जाती॰ शहर वदनगर, गुजरात ।
बचपन मे ही नरेंद्र होनहार बच्चे थे स्कूल मे हर प्रोगराम मे हिस्सा लेते थे देशभक्त इतने की सन्यास ले लिया और राष्ट्र की सेवा के लिए भारत पाक की जंग मे वोलंटियर भर्ती हो गए और रेल्वे स्टेशन पर आर्मी वालों का सामान  ले जाने मे मदद की, और जो हो सका वो किया और तो और बचपन मे घर छोड़ भाग गए हिमालये, और 2 साल बाद आए । अपने घर वालों की सहायता के लिए अपने भाई के साथ रेल्वे स्टेशन पे चाये बेचते थे और साथ साथ मे अपनी पढ़ाई भी करते थे रेल्वे के इसपार चाये बेचते थे और स्कूल की घंटी बजने पे प्लैटफ़ार्म क्रॉस कर के स्कूल भी चले जाते थे । मोदी जी ने  राजनीतिक विज्ञान मे मास्टर डिग्री की है ।

अनुशासन और समय के पूरी तरह से पालन करने वाले हैं नरेंद्र मोदी
एक बार की बात है श्री मोहन भागवत जी जो अब के संघ प्रमुख हैं
ये बिना निक्कर लगाए शाखा मे आ गए तो मोदी जी उस वक्त संग के कार्यकर्ता थे तो मोदी जी ने मोहन भगवत को बाहर निकाल दिया शाखा से और कहा जाइए पहले निक्कर पहन के आइये इसलिए मोदी जी को अनुशासन का पक्का माना जाता है  ।

मोदी जी पर ये आरोप भी लगाया जाता है की ये शादी शुदा हैं।

जसोदाबेन चिमनलाल जी अपने आप को मोदी जी की पत्नी मानती हैं और कहती हैं ।  मोदी जी के माता पिता ने इनकी शादी अपने रीति रिवाज के अनुसार 13  वर्ष की आयु मे ही कर दी थी  जिसमे शादी 3 चरणों मे होती है लेकिन हमारी एक ही हुई थी दूसरी नहीं हो पायी क्यूंकी वो समाजसेवा करना चाहते थे  वो आरएसएस की तरफ चले गए थे और  बाद मे में  भी समाज सेवा मे जुट गई  और आज  मे भी समाज सेवा करती हूँ अच्छा है वरना दोनों को टाइम नहीं मिलता में एक टीचर हूँ और आज भी  सिंगल हूँ मेने भी आज तक शादी नहीं की है । जो भी है अच्छा है वो भी समाज सेवा करते हैं में  भी समाजसेवा करती हूँ । ये जो जानकारी मेने आप के सामने राखी है में नहीं जनता की ये सच है या झूठ ये मेने इंटरनेट से ली है
इस्बात की पुष्टि मोदी जी ही कर सकते हैं ।

अब बात मोदी जी की राजनीतिक पारी की

नरेंद्र उर्फ स्ट्रेटजी कहें तो कुछ गलत नहीं होगा ।
मेरे अपने मानने मे नरेंद्र मोदी और प्रणव मुखर्जी ये दोनों आदमी
आदमी नहीं मिस्टर स्ट्रेटजी हैं । आंकड़ो का गणित और क्या कहाँ कहना है और कब कहना है ये शायद भारत के इतिहास मे इन दोनों के अलावा कोई नहीं जानता । मेरा संधर्ब आज के भारत से है ।
कब सुर्खियों मे आना है और किस शब्द से पूरी बाज़ी अपने पाले मे
पलट लेनी है ये इन दो शक्स से बेहतर कोई नहीं जानता अभी बात सिर्फ मोदी की चल रही है इसलिए मोदी जी पर ही आएंगे
मेरा एक और लेख है MR. Strategy Modi or mukherjee
मोदी जी के लिए फिर से एक शेर कहना चाहूँगा ।

लोगों का नाम उनके अच्छे काम से होता है ।
लेकिन मोदी का नाम हर काम से होता है ।
क्यूंकी मोदी के लिए हर काम इंतकाम होता है ।
इसलिए मोदी का बदनाम होकर भी नाम
होता है ।

मोदी जी का राजनीतिक सफर शुरू हुआ सन 1987 तभी मेरा जनम भी हुआ था एक वर्ष के अंदर अंदर मोदी जी गुजरात के जर्नल सेकेटरी बन गए उसके बाद नरेंद्र मोदी ने कभी पीछे मूड के नहीं देखा सन 1995 मे मोदी जी नेशनल सेक्रेटरी बनाए गए और उन्हे 5 प्रमुख राज्यों का प्रभार सोमपा गया और उसके बाद वो वक्ता आया जो शायद मोदी जी ने भी नहीं सोचा था गुजरात का मुख्यमंत्री बनने का लेकिन उसके एक  साल बाद ही मोदी को इस्तीफा देना पड़ा गुजरात दंगो की वजह से लेकिन मोदी ने हिम्मत हरी और लाइन ऑर्डर सुधारा और चल पड़ा गुजरात के विकास की और लेकिन उस परेशानी से अभी अभी पीछा छूटा ही था की एक नई परेशानी गई जिसने गुजरात को फिर से उसी मुकाम पर ला दिया जहां गुजरात कुछ साल पीछे था, लेकिन नरेंद्र मोदी के साहस ने उस से भी पार पाया और वो कर दिखाया जो काबिले तारीफ था 500 दिन के अंदर  876618 घर बना कर विश्व रिकॉर्ड बना डाला , और उसके बाद भूत को पीछे मूड कर न देखा और ना भविष्य की चिन्ता की सिर्फ वर्तमान मे काम किया और गुजरात को भारत का सबसे विक्सित राज्य बना दिया ।

बाकी राज्यों की तरह गुजरात को घोटालों से दूर ही रखा और गरीबों की मदद की बिजली पानी की परेशानी को दूर  भगाया युवाओं को रोजगार दिया , ना की up और बिहार की तरह लोगों को घर छोड़ कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा ,गुजरात के युवा को गुजरात मे काम दिया और  देश के बाकी युवाओं को भी  गुजरात आने का आमंत्रण दिया ।
मोदी ने धर्म की राजनीति से  बचकर रहने की कोशिश की लेकिन फिर भी मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने मोदी को धर्म के नाम पर बदनाम किया लेकिन वो बदनामी भी मोदी को नाम दे गई और मोदी को एक मज़बूत  नेता बना गई और मोदी गुजरात से देश फेमस हो गया शायद ये दाग न लगते मोदी पर तो देश मोदी के विकास को देख ना पाता। इसलिए मुझे वो  विज्ञापन याद आ रहा है टेलीविज़न का की दाग अच्छे  होते हैं । 

शायद ये बदनामी रास आगयी कांग्रेस पार्टी की जो मोदी को जितना बदनाम किया उतना मोदी का नाम हो गया और मोदी देश के सामने आ गया वरना भाजपा मे इतने बड़े लेवेल के नेताओं मे जगह बनाना मुश्किल था लेकिन मोदी तो किस्मत लेकर आए थे और कॉंग्रेस के यमराज बन कर आए थे जो अकेले ही पूरी कॉंग्रेस पार्टी पर भारी  हैं मोदी एक राजनेता ही नहीं बहुत अच्छे लेखक और कवि  भी हैं उन्होने किताबें भी लिखी हैं जिनका चर्चा मैं  आखिर में करूंगा।

मोदी ने जब विकास किया तो एक से एक बेहतर योजनाओ का
निर्माण किया जिनमे पंचामृत योजना ,सुजलाम सफलम ,कृषि महोत्सव , चिरंजीवी योजना , मातृ वंदना , बेटी बचाओ ,ज्योति ग्राम योजना , कर्मयोगी अभियान ,कन्या केलावनी योजना , बाल भोग योजना ये वो योजनाएँ थी जो नरेंद्र मोदी ने बनाई और गुजरात की  परेशानियों को सुलझाया जो अपने आप मे काबिले तारीफ थी|

राजनीतिक शास्त्र  में गांधी जी ने एक बात कही थी ।     
Peoples are roots and states are fruits ।                   
नरेंद्र मोदी ने इसका बहुत सही ढंग से प्रयोग किया और जनता की नब्ज़ को टटोला और जनता ने चाहा वेसा ही किया ॰ मोदी ये अच्छी तरह जनता थे की जब तक आप जनता को समझा नहीं सकते और जनता का साथ आप के साथ पूरा नहीं तब तक आप बेहतर स्टेट नहीं बना सकते । इसलिए मोदी ने कभी जात पात की बात नहीं की और धर्म की राजनीति भी नहीं की बहुत सारे लोग मोदी पर आरोप लगाते  हैं की मोदी communal है लेकिन मैं इस बात को नकारता हूँ । यदि ये बात होती तो गुजरात के विकास मे आ रहे मंदिर मोदी कभी न तुड़वाता जिसके कारन मोदी को वीएचपी का विरोध तक झेलना पड़ा था । यदि मोदी communal  होता तो आसाराम बापू के खिलाफ कभी कारवाई न करता आसाराम से कभी पंगा मोल न लेता लेकिन फिर भी मोदी को communal कहा जाता है । क्यूंकी उसके गुजरात मे मुसलमान दंगे मे मारे गए थे इसलिए मोदी communal है ये तर्क मुझे कुछ वाजिब नहीं लगता ।

मोदी ने गुजरात का विकास किया है तो उसमे सभी जाती सभी मजहब को समान अधिकार हैं । आज जो गुजरात मोदी ने बनाया है उसमे शांति है । मोदी को कुछ लोग डिक्टेटर कहते हैं , मेरा मानना है की एक राजा के अंदर डिक्टेटरशिप भी होनी चाहिए कुछ एसे मुद्दे होते हैं जहां आप को आगे बड़ कर कदम बड़ाना होता है जो शायद कभी बहुत बड़ा नुकसान भी देते हैं लेकिन कभी कभी आप को वो बहुत बड़ा मुकाम दे जाते हैं । जिसके कुछ उदाहरण आप को दे रहा हूँ जिसकी वजह से मोदी कुछ खास हो गए ।

1) दंगे होने के तुरंत बाद APJ  अब्दुल कलाम के साथ हर उस जगह जाना जहां पे दंगे हुए ।
2) भाजपा के बड़े लेवेल के नेताओं के बिना 2007 का चुनाव लड़ना और पूर्ण बहुमत ले कर विजय होना ।
3 ) टाटा का सिंगूर प्लांट गुजरात मे लाना ।
4 ) सदभावना उपवास ।
5 ) भाजपा में अपनी ताकत बना कर रखना संजय जोशी तक को         इस्तीफा दिलवा देना ।
6 ) बात वहीं करनी जो मीडिया को खुद बतानी वरना कोई भी पत्रकार कितना भी कर ले मोदी से कुछ भी नहीं बुलवा सकता ।
7 ) अपने खेमे मैं भाजपा के कार्यकर्ताओं को जोड़ के टीम मोदी बनाना ।
8 ) विकास के साथ साथ धर्म को भी पूरी तरह मानना और हिन्दू लोगों को संदेश देना की मोदी ने टोपी नहीं पहनी ।
9 ) गुजरात को  business हब  बनाना और बड़े उद्योगपतियों  को अपनी तरफ आकर्षित करना ।
10 ) सबसे खास युवाओं को अपनी भाषण से मंत्रमुग्ध कर देना
जहां मोदी खड़ा हो जाए वहाँ भीड़ हो जाए । विकास कि धर्म की
और देश की बात सब करनी। एक दंगे के आरोप को छोड़ दिया जाए तो मोदी जी का जीवन निष्कलंक रहा है ।
मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी अपने परिवार को अपने साथ ना रखना
अपने पुश्तेनी घर मे रखना और अपने पद का फाइदा कभी भी अपने परिवार को न पहुंचाना जो मोदी को मजबूत बनाते हैं  
एक भी भ्रष्टाचार का आरोप अपने निजी जीवन में न होना
मोदी जी को सब से अलग और खास बनाता हैं ।

इसलिए मेरा मानना है कि मोदी वो श्क्स है जिसके अंदर निर्णय  लेने कि काबिलियत और क्षमता है । जिसने गुजरात का विकास कर के एक उदाहरण सब के सामने रखा है , जिसने  प्रमाण किया है कि वो सिर्फ ओरल लीडर नहीं है वो एक मॉरल लीडर है । गुजरात कि ज़रूरत क्या है और उसे केसे पूरा करना है ये मोदी ने कर के दिखाया है । इसलिए हम सब लोगों को एक एसा नेता चाहिए जो सिर्फ भाषण न दे काम करे और बिना डरे काम करे राष्ट्र हित मे कम करे , ये खूबी नरेंद्र मोदी के अंदर है जो कभी भी मायावती या मुलायम कि तरह जाती कि राजनीति नहीं कि लालू पासवान कि तरह मुसलिमप्रसती नहीं कि और ना ही बाकी राजेताओं कि तरह अपार  संपत्ति इकट्ठा की । मोदी एक ब्रह्मचारी आदमी हैं न की अटल जी की तरह फल खाये हुए आदमी ।  जिनहे कोई भी लालच नहीं ना कोई संतान की उसके लिए पैसे जोड़ने हैं । फिर हमे इस आदमी को देश का प्रधानमंत्री बनाने मे क्या हर्ज़ होना चाहिए ।

यदि आप मोदी को प्रदानमंत्री बनाना चाहते हैं तो इसबर वोट सिर्फ एक बात सोच कर दें की ना कोई ज़ात है ना मजहब सिर्फ देश है और देश बचना है तो मोदी है ।

लेकिन मोदी जी के लिए भी बहुत चुन्नोतिया हैं मेरे लेख का अगला भाग क्या है नरेंद्र मोदी 2014 के चुनाव के बाद मे मैं लिखुंगा ।

अभी फिलहाल मे मोदी को भाजपा के उन नेताओं से बचकर रहने की ज़रूरत है । जो मोदी को हराने के लिए कुछ भी कर सकते हैं ॰ वरना मिशन खत्म हो जाएगा । वेसे तो मोदी बहुत चतुर और ज्ञानी पुरुष हैं लेकिन समय उसी का साथ देता है जो सही वक्त पर सही काम करता है ।

मेरी तरफ से 2014 के लिए मोदी जी को बेस्ट ऑफ लक ।


Sunday, March 3, 2013

मनमोहन सरकार है !

मनमोहन सरकार है !

पेड़ों पर पैसे उगते हैं ,
सौदे की बातें करते हैं ,
घोटालों की भरमार है ,
घोटाला खुद सरकार है ,
देख हमें सब पता है ,
खुद हमारी सब खता है ,
गधों की जयकार है,
शेर आज लाचार है ,
तुम्हारी मेहनत बेकार है ,
यह मनमोहन सरकार है !!=====

जनता का पोस्टमार्दम होगा,
जब भारत का नया माडल होगा ,
हर घोटाले का अधिकार होगा ,
लोकतंत्र को भी स्वीकार होगा ,
हर कोई पूर्ण स्वतंत्र होगा,
भारत पूर्ण भ्रष्टतंत्र होगा ,
लुट रही जनता लाचार है ,
लूट रही मनमोहन सरकार है ,
लुटेरी सरकार है ,लूट का व्यापार है ,
भारत सदियों से गाँधी का ससुराल है ,
करती जनता पर अत्याचार है ,
हर कदम पर भ्रष्टाचार है ,
भ्रष्टाचार भारत का त्यौहार है ,
मर रही सभ्यता संस्कार है ,
स्वार्थ का बढ़ता सरोकार है ,
यह मनमोहन सरकार है !!===============

अब महलों में खेती होगी ,
खेतों में फैक्ट्री विदेशी होगी ,
हमारी रोटी भी निवेशी होगी ,
बस खून स्वदेशी होगी ,
सत्ता पूरी विदेशी होगी ,
करो इंतजार भारत दुर्दशा का ,
सरकार की पावन मनोदशा का ,
यह मनमोहन सरकार है !!============

जनता लाचार है जो बेकार है ,
अब पेट पर होता अत्याचार है ,
मर गया भारत में प्यार है ,
अब भारत एक बाजार है ,
गरीब मजबूर जातिगत मतदाता है 
आज भ्रष्टाचारी अन्नदाता है ,
शहीदों की पुकार है ,
तुम जिन्दा हो और तुम्हारा भारत 
चंद मुट्ठी भर गुडों से लाचार है,
यह कैसा मनमोहन सरकार है ???

यह कविता क्यों ???भारत के उलझे हुए इतिहास पटल पर मनमोहन सरकार सबसे बड़े हत्यारे लुटेरी सरकार के रूप में आई जिसने हर तरह भारत को लूट कर बर्बाद किया और आगे भी करेगा क्योंकि भारत अपनों से ज्यादा बर्बाद है ! गैरों में इतना दम ही कहाँ है जो विश्वगुरु भारत के सामने ठीक से खड़े भी हो जाएँ ,,जागो भारत फिर एक बार .....वन्देमातरम

Saturday, January 12, 2013

माँ की पुकार

"माँ की पुकार "
मेरा बच्चा माँ भारती की गोद में सो गया 
माँ भारती पूछ रही है इसका सर कहां है ???
इसको गोद में कैसे सुला सकती हूँ ! 
माँ भारती रों रों कर पूछ रही है 
ये मेरा सैनिक है मेरा लाल है
पर ??? इसका गर्व से हँसता हुआ
सूर्य सा तेजस्वनी सर कहां है ??
मेरा ये लाल चिर निंद्रा में है
इसकी माँ हूँ में इनको चूमना चाहती हूँ
पर इसका सर कहां है
मेरे लिये तो ये मेरा मस्तक था
आज इसका मस्तक कहां है ???
में मिलिन्द्र की कलम बन कर
पुछती हूँ मेरे लाल का सर कब
मेरी गोद में सुकून की नींद सोयेगा ???
इसकी माँ हूँ खून के आसूं पी लुंगी
इसके बच्चे की मासूम आँखों को क्या जवाब दूंगी ???
वर माला इसके गले में डालने वाली
पत्नी आज विधवा है
उसकी इंतजार करती आँखों को क्या जवाब दूंगी ???
माँ कहने वाले मेरे लाल
जा रूपधर के महाकाल का
टूट पढ़ बनकर भयंकर काल
ये तेरा शीश काटने वाले आज जिन्दा है
देशभर में घोर निन्दा है
उठ जा मेरे देश् तुजे माँ भारती की कसम है



हेमराज और सुधाकर सिंह को सलाम

Tuesday, November 27, 2012

आठवें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर

former prime minister chandrashekhar 
जीवन-परिचय
स्वतंत्र भारत के आठवें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का जन्म 1 जुलाई, 1927 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव इब्राहिमपुर के एक कृषक परिवार में हुआ था. विश्वनाथ प्रताप सिंह के असफल शासन के बाद चंद्रशेखर ने ही प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था. राजनीति की ओर चंद्रशेखर का रुझान विद्यार्थी जीवन में ही हो गया था. निष्पक्ष देश-प्रेम के कारण इन्हें ‘युवा तुर्क’ के नाम से भी जाना जाता है. चंद्रशेखर की कुशल भाषा शैली विपक्षी खेमे में भी काफी लोकप्रिय थी. वह राजनीति को पक्ष-विपक्ष के दृष्टिकोण से नहीं देखते थे. वह केवल देश हित के लिए कार्य करने में ही खुद को सहज महसूस करते थे. इलाहाबाद विश्विद्यालय से स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही उन्होंने भारतीय राजनीति में कदम रख दिया था.

चंद्रशेखर का व्यक्तित्व
चंद्रशेखर के विषय में कहा जाता है कि बहुत कम लोगों को मेधावी योग्यता प्राप्त होती है और यह उन्हीं में से एक हैं. चंद्रशेखर आचार्य नरेंद्र के काफी करीब माने जाते थे जिससे उनका व्यक्तित्व और चरित्र काफी हद तक प्रभावित हुआ. उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावी था कि पक्ष हो या विपक्ष सभी उनका सम्मान करते थे. साथ ही किसी भी समस्या की स्थिति में इनके परामर्श को वरीयता देते थे. वह पूर्णत: निष्पक्ष रह कर काम करते थे. वह अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए जाने जाते थे. इनके विषय में एक व्यंग्य भी प्रचलित है कि अगर संसद मछली बाजार बन रहा हो तो इनके भाषण से वहां सन्नाटा पसर जाता था. उनका स्वभाव बेहद संयमित था. यहां तक कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह अपने संयम और कुशल व्यवहार के लिए जाने जाते थे.

चंद्रशेखर का राजनैतिक सफर
राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही वह समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे. जल्द ही वह बलिया जिला के प्रजा समाजवादी दल के सचिव बने और उसके बाद राज्य स्तर पर इसके संयुक्त सचिव बने. राष्ट्रीय राजनीति में चंद्रशेखर का आगमन उत्तर प्रदेश राज्यसभा में चयनित होने के बाद हुआ. यहीं से ही उन्होंने वंचित और दलित वर्गों के लोगों के हितों के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी थी. गंभीर मुद्दों पर वह बेहद तीक्ष्ण भाव में अपनी बात रखते थे. विपक्ष भी उनके तेवरों को भांपते हुए कुछ नहीं कह पाता था. सन 1975 में अपातकाल लागू होने के बाद जिन नेताओं को इन्दिरा गांधी ने जेल भेजा था उनमें से एक चंद्रशेखर भी थे. वी.पी. सिंह के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद चंद्रशेखर, कॉग्रेस आई के समर्थन से सत्तारूढ़ हुए. रिजर्व बैंक में मुद्रा संतुलन बनाए रखने में चंद्रशेखर का बहुत बड़ा योगदान था.

चंद्रशेखर का लेखन और पत्रकारिता के प्रति रुझान
चंद्रशेखर अपने विचारों की अभिव्यक्ति बड़े तीखे अंदाज में करते थे. राजनीति और समाज से जुड़े किसी भी मसले को वह तथ्यों के आधार पर ही देखते और समझते थे. केवल राजनीति ही नहीं वह पत्रकारिता में भी खासी रुचि रखते थे. उन्होंने यंग इण्डिया नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र का भी संपादन और प्रकाशन किया. अपने समाचार पत्र में वह किसी भी समस्या की समीक्षा बड़ी बेबाकी से करते थे. अपनी इसी बेबाकी और निष्पक्षता के कारण वह बौद्धिक वर्ग में भी काफी लोकप्रिय रहे. वह लेखन को आम जनता तक अपनी बात पहुंचाने का सबसे सशक्त माध्यम मानते थे. इसी कारण आपातकाल के समय इन्दिरा गांधी द्वारा जेल भेजे जाने की घटना को और अपने जेल के अनुभवों को उन्होंने एक डायरी में समेट लिया जो मेरी जेल डायरी के नाम से प्रकाशित हुई. इसके अलावा चंद्रशेखर की एक और कृति ‘डायनमिक्स ऑफ चेंज’ के नाम से प्रकाशित हुई. जिसमें उन्होंने यंग इंडिया के अपने अनुभवों और कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को संकलित किया. उनके लेखन की सबसे खास बात यह थी कि वह विषय का भली प्रकार अध्ययन करते और शुरू से अंत तक अपनी पकड़ बनाए रखते थे.

चंद्रशेखर को दिए गए सम्मान
चंद्रशेखर देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें वर्ष 1955 में सर्वाधिक योग्य सांसद का सम्मान प्रदान किया गया था.

चंद्रशेखर का निधन
चंद्रशेखर काफी समय से प्लाज्मा कैंसर से पीडित थे. 8 जुलाई, 2007 को नई दिल्ली के एक अस्पताल में चंद्रशेखर का निधन हो गया.

चंद्रशेखर एक ईमानदार और कर्मठ प्रधानमंत्री थे. उनकी एक विशेषता यह भी थी कि वह हर कार्य को समर्पण भाव से करते थे. प्रधानमंत्री के पद से हटने के बाद वह भोंडसी में अपने आश्रम में ही रहना पसंद करते थे जहां सत्तारूढ़ नेता और विपक्षी दोनों ही उनसे परामर्श लेने आते थे. सरकार द्वारा अपने आश्रम की जमीन का विरोध करने पर उन्होंने इसका एक बड़ा हिस्सा सरकार को वापस कर दिया. चंद्रशेखर के विषय में यह कहना गलत नहीं होगा कि वह एक संयमित चरित्र वाला व्यक्ति होने के साथ-साथ एक ईमानदार प्रधानमंत्री भी थे जिनकी योग्यताओं और महत्वाकांक्षाओं पर संदेह करना मुश्किल है. अपने जीवनकाल में वह बेहद सम्मानीय पुरुष रहे. आज भी राजनैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से इनकी लोकप्रियता को कम नहीं आंका जा सकता.

शहीदों के सम्मान के मौके पर नेताओं ने किया शर्मसार!

PHOTOS : शहीदों के सम्मान के मौके पर नेताओं ने किया शर्मसार!
मुंबई। हमले के शहीदों-मृतकों को संसद समेत देशभर में सोमवार को श्रद्धांजलि दी गई। लेकिन इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कृषि मंत्री शरद पवार, राज्यपाल के शंकरनारायणन और सीएम पृथ्वीराज चव्हाण जूते उतारना भी मुनासिब नहीं समझे। 
 
मुंबई अब भी असुरक्षित: कविता 
 
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शहीद हेमंत करकरे की पत्नी कविता ने कहा-आतंक के खिलाफ लड़ाई अभी शुरू ही हुई है। मुंबई अब भी असुरक्षित है। 26/11 के बाद भी पुणो और अन्य जगहों में बम विस्फोट हुए हैं। पुलिस को अत्याधुनिक हथियार नहीं मिले हैं। बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले का मामला अभी तक नहीं सुलझा है।’
 
 
मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे। इनमें तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत भी थे। हमले की चौथी बरसी से पांच दिन पहले मुख्य आरोपी कसाब को फांसी दी गई थी। इससे शहीदों के परिजनों में खुशी तो दिखी लेकिन अपनों को खोने का गम साफ नजर आया। कविता ने कहा, ‘मैं खुश हूं। लेकिन कसाब को फांसी देने से मेरे पति या दिव्या के पिता तो वापस नहीं आएंगे।’ 
 
उन्होंने साथ ही कहा, ‘मुंबई अब भी असुरक्षित है। 26/11 के बाद भी पुणो और अन्य जगहों में बम विस्फोट हुए हैं। पुलिस विभाग को अभी तक अत्याधुनिक हथियार नहीं मिले हैं। बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले का मामला अभी तक नहीं सुलझा है।’