1967 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ कर प्रदेश की राजनीति में कदम रखा, किन्तु वे चुनाव हार गए. पुनः 1969 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े एवं जीत हासिल किए. तब से पाठक पीछे मुड़ कर नहीं देखे. 71, 74, 77 एवं 80 में उन्होंने लगातार जीत दर्ज कर बांसडीह विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किए. 1984 में किन्हीं कारण से उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिल सका. 1989 में कांग्रेस से फिर चुनाव लड़े, किन्तु असफल रहे. पुनः बांसडीह से 91 एवं 96 में वो लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते.
कहा जा सकता है कि एक विधानसभा से एवं एक ही पार्टी से सात बार विधायक बनने का रिकार्ड जनपद में बच्चा पाठक के नाम है. श्री पाठक उत्तर प्रदेश सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री रहे एवं कांग्रेस में वरिष्ठ सांगठनिक पदों पर रह कर दायित्वों का बखूबी निर्वहन किए. 1977 की जनता पार्टी की लहर में जब कांग्रेस का लगभग सफाया हो चुका था, उस वर्ष का चुनाव जीत कर पाठक काफी चर्चित रहे. तभी से कांग्रेस जनों ने उन्हें शेरे बलिया कह कर पुकारना शुरू किया. बच्चा पाठक चार इंटर कॉलेजों के प्रबंधक एवं एक महाविद्यालय के संस्थापक रहे हैं.
उनके भतीजे अशोक पाठक ने बताया कि पूर्व मंत्री का पार्थिव शरीर पैतृक आवास खानपुर में देर रात पहुंचेगा. सुबह जनता दर्शन के बाद दोपहर के बाद उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी. पचरुखिया गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बांसडीह विधानसभा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पाठक जी की मौत से पूरा प्रदेश दुःखी है. ईश्वर दिवंगत को आत्मिक शांति प्रदान करें. बीते चुनाव में पाठक जी का योगदान कभी भूला नहीं जा सकता – रामगोविंद चौधरी (उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष), बलिया लाइव प्रतिनिधि रविशंकर पांडेय से बातचीत में.
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